अघोर या अघोरी शब्द का अर्थ ' उजाले की ओर' बताया गया है.



अघोरी भगवान शिव के साधक होते हैं.



अघोर संप्रदाय शिव जी को सम्पूर्ण मानते हैं.



कहा जाता है कि अघोरी बनने की प्रक्रिया में सबसे पहले मन से घृणा को निकालना होता है.



तभी अघोरी या अघोर शमशान जैसी जगहों पर आसानी से रह लेते हैं.



अघोरी दिन में सोते हैं और रात में शमशान में साधना करते हैं.



कहा जाता है कि अघोरियों के लिए शमशान साधना शीघ्र फलदाई होती है.



अघोरी नरमुंड यानी मानव खोपड़ियों को भोजन के पात्र के रूप इस्तेमाल करते हैं,



इसलिए इन्हें कपालिक भी कहा जाता है.