पुराणों के अनुसार स्वर्ग में 11 प्रमुख अप्सराएं थी, इनका स्थान इंद्र लोक में बताया गया है. ये सुंदर होने के साथ जादुई शक्ति से संपन्न होती थीं. हनुमान जी की माता अंजनी ही पूर्व में पुंजिकस्थला अप्सरा थीं. इन्हें ऋषि ने श्राप दिया कि जब उन्हें प्रेम होगा तब वह वानरी बन जाएंगी. मेनका ने ऋषि विश्वामित्र की तपस्या भंग की थी, फिर उनसे शादी कर ली, लेकिन अपना लक्ष्य पूरा होने के बाद वह वापिस इंद्रलोक लौट गईं सौंदर्य की प्रतीक माने जाने रंभा सभी अप्सराओं की प्रधान थीं. इन्हें कुबेर के पुत्र नलकुबेर की पत्नी माना जाता है. उर्वशी अप्सरा की उत्पत्ति नारायण की जंघा से मानी गई है. प्रेम प्रस्ताव ठुकराने के चलते उर्वशी ने अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दिया था घृताची की खूबसूरत काया को निहारने मात्र से वेदव्यास ऋषि कामाशक्त हो गए थे जिसके चलते शुकदेव उत्पन्न हुए. तिलोत्तमा अप्सरा के जाल में फंसकर ही दो असुर भाई सुंद- उपसुंद ने एक दूसरे को मार गिराया था. इस अप्सरा ने पृथ्वी को इनके अत्याचारों से बचाया था. प्रम्लोचा ने ऋषि कंड्डु की तपस्या भंग. दोनों में अट्टू प्रेम था लेकिन सच छुपाने के लिए इस अप्सरा को 907 साल पृथ्वी पर रहना पड़ा. अनुम्लोचा, वर्चा, पूर्वचित्ति, कृतस्थली ये चार अप्सराएं भी बला की सुंदर मानी जाती है, इन्होंने इंद्र के कहने पर कई ऋषियों की तपस्या भंग की थी.