भूत, लोककथाओं और संस्कृति में एक अलौकिक प्राणी माना जाता है.



मान्यताओं के अनुसार भूत किसी मृत व्यक्ति की आत्मा से बनते हैं.



भूत, किसी पुराने घर, मकबरे, या किसी अन्य स्थान में रहते हैं.



भूतों को खाने-पीने की बहुत इच्छा और लालसा रहती है, लेकिन उन्हें तृप्ति नहीं मिल पाती.



भूतों का भोजन, हमारी ऊर्जा है. भूत-प्रेत एनर्जी फ़ॉर्म होते हैं और ये हमारी ऊर्जा को लेते हैं.



शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के मुताबिक, खाते समय भोजन ज़मीन पर न गिराना चाहिए.
अगर भोजन ज़मीन पर गिरता है, तो इसे भूत-प्रेत खा सकते हैं.


इससे उन्हें पोषण मिलता है और वे आपके आस-पास आकर्षित होते हैं.



भूत-प्रेत मांसाहारी भोजन का भी सेवन करते हैं.



भूतों की आत्मा हर जगह भटकती रहती है.