चातुर्मास 17 जुलाई से शुरू हुए थे. जिसका समापन
12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर होगा.


बौद्ध धर्म भी अहिंसा को सर्वोपरि मानता है, इसी कारण
इस धर्म के लोग भी चातुर्मास को अहमियत देते हैं.


बौद्ध धर्म के अनुयायी भी चातुर्मास की 4 महीने की अवधि
में कई तरह के नियमों का पालन करते हैं.


बौद्ध धर्म को मानने वाले साधु-संत, ज्ञान की प्राप्ति के
लिए एक ही स्थान पर रहकर अराधना करते हैं.


भगवान महावीर ने चातुर्मास को 'विहार चरिया इसिणां
पसत्था' कहकर विहारचर्या को प्रशस्त बताया.


चातुर्मास में बौद्ध धर्म के लोग भौतिक सुख-सुविधाओं
को छोड़कर संयमित जीवन व्यतीत करते हैं.


बौद्ध धर्म में भी चातुर्मास के दौरान जप-तप कर, समाज
को एक सूत्र में पिरोने का प्रयास करते हैं.


सारी सुख सुविधाओं को त्यागकर,ब्रह्मचर्य का पालन
करते हैं.