चाणक्य कहते हैं कि लक्ष्य के लिए मन में सोंचे हुए कार्य
को किसी के सामने व्यक्त नहीं करना चाहिए.


इससे आपके मास्टर प्लान में बाधा आ सकती है. योजनाएं
फेल हो सकती है.


आलस वो जहर है जो व्यक्ति की सफलता को धीरे-धीरे
मार देता है. काम में लापरवाही न बरतें. आलस न करें.


शेर का उदाहरण देकर चाणक्य कहते है सिंह अपने लक्ष्य
से कभी नहीं भटकता, आक्रामक तरीके से वार करता है.


विपरित परिस्थितियों से डरें नहीं, चाणक्य कहते हैं जितना बड़ा
हमारा लक्ष्य होता है उतनी बड़ी परेशानी आती है.


बुरी संगत में रहने वाली व्यक्ति अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच
पाता. इसके लिए बुरे लोगों का साथ छोड़ना जरुरी है.


इंसान को भी अपने लक्ष्य के लिए एकाग्र होकर मेहनत
करना चाहिए और ठीक समय आने पर कदम आगे बढ़ाना चाहिए.


बड़ा टारगेट पूरा करना है तो सहयोगियों को साथ लेकर
चलें, अपनी टीम पर भरोसा करें, उन्हें मोटिवेट करें.


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