दिवाली के 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा पर देव दिवाली
मनाई जाती है. इस बार देव दिवाली 15 नवंबर को है.


देव दिवाली, दीपावली से अलग होती है. कार्तिक अमावस्या
की दिवाली पर लक्ष्मी पूजन कि विशेष महत्व है.


वहीं देव दिवाली पर गंगा स्नान और शाम को नदी
किनारे दीपदान करना अधिक महत्वपूर्ण होता है.


देव दिवाली पर शिव जी ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था.
दिवाली श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाते हैं.


वहीं देव दीपावली का त्योहार शिव की दैत्य पर विजय का
प्रतीक है. त्रिपुरासुर के वध के बाद सभी देवता काशी आए थे.


जीत की खुशी में समस्त देवताओं ने यहां गंगा स्नान किया और
दीपदान कर खुशियां मनाई थी.


यही वजह है कि देव दिवाली पर देवतागण दिवाली मनाने
पृथ्वी पर आते हैं और गंगा स्नान करते हैं.


देव दिवाली पर गंगा स्नान करने से अमृत के गुण प्राप्त
होते हैं, मोक्ष मिलता है ऐसी मान्यता है.