चातुर्मास में देव सो जाते हैं, इस दौरान भोजन के नियम
भी बदल जाते हैं.


बैंगन दशमी के बाद करीब चार महीने तक बैंगन, मूली,
दही, जीरा आदि खाने की मनाही होती है.


बैंगन दशमी, देवशयनी एकादशी के एक दिन पहले मनाई
जाती है, इस दिन जगन्नाथ जी को बैंगन भात का भोग लगता है.


इसके बाद से 4 माह तक बैंगन खाना वर्जित होता है.



बैंगन में कीड़े लगने की आशंका होती है, ये सेहत के लिए
नुकसानदायक हो सकता है. ऐसे बैंगन खाना मना होता है.


कार्तिक मास में देवउठनी एकादशी के बाद लोग फिर से
बैंगन खाना शुरू करते हैं.


देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को बैंगन से बने मिष्ठान
का भोग लगता है.


देवउठनी एकादशी इस साल 12 नवंबर 2024 को है.
इस दिन से बैंगन खा सकते हैं.