देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 को है. श्रीहरि इस दिन
चार माह बाद क्षीर निद्रा से जागेंगे.


देवउठनी एकादशी पर शाम को तुलसी-शालिग्राम जी का विवाह
कराया जाता है. रात्रि जागरण कर अगले दिन पारण करते हैं.


देवउठनी एकादशी का व्रत पारण 13 नवंबर 2024 को
सुबह 06.42 से सुबह 08.51 के बीच किया जाएगा.


एकादशी के व्रत पारण में चावल जरुर खाना चाहिए.
इससे अगला कुयोनि में नहीं होता, ऐसी मान्यता है.


देवउठनी एकादशी व्रत खोलने से पहले श्रीहरि की पूजा
करें, ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान दें.


एकादशी के व्रत पारण में सबसे पहला निवाला भोग
में चढ़ाए मिष्ठान को ग्रहण करना चाहिए.


इसके बाद सात्विक भोजन करें, जिसमें लहसून-प्याज
न मिला हो, तभी एकादशी व्रत सफल होता है.


एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को जन्म-मरण
के बंधन से मुक्ति मिलती है.