कुंभ मेले के चार प्रकार होते हैं, कुंभ, अर्धकुंभ,
पूर्णकुंभ और महाकुंभ.


इन सभी के बीच समयावधि, धार्मिक महत्व और
खगोलीय कारणों के आधार पर विभिन्नताएं होती हैं.


नासिक और उज्जैन में आयोजित होने वाले कुंभ को
सिंहस्थ कहा जाता है.


बृहस्पति जब सिंह और सूर्य मेष राशि में हो तब उज्जैन
या नासिक में कुंभ (सिंहस्थ) लगता है.


महाकुंभ 144 साल में सिर्फ एक ही बार लगता है. इसे बेहद
दुर्लभ और विशिष्ट धार्मिक पर्व माना गया है.


महाकुंभ 12 पूर्णकुंभ के बाद सिर्फ प्रयागराज में आयोजित होता है.
इस दौरान संगम पर स्नान करने वालों को अमोघ फल मिलता है.


अर्धकुंभ में अर्ध का अर्थ है आधा. हरिद्वार और प्रयाग में 2
कुंभ के बीच 6 साल के अंतराल में अर्धकुंभ आयोजित होता है.


पूर्णकुंभ 12 साल में एक बार लगता है, जो सिर्फ प्रयागराज
में होता है. इसका खास महत्व है.