मृत्यु के बाद मृतक की आत्मा की शांति के लिए
13 दिन तक कई रीति रिवाज निभाए जाते हैं.


इसमें से एक है शांति पाठ, इसमें आत्मा की शांति के लिए
गुरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है.


मान्यता है कि मृतक की आत्मा 13 दिनों तक घर में
ही रहती है.


गरुड़ पुराण का पाठ इसलिए किया जाता है ताकि आत्मा
को सद्गति मिल सके.


गुरुड़ पुराण में स्वर्ग-नरक, अधोगति, दुर्गति, गति,
सद्गति इत्यादि के बारे में वर्णन किया गया है.


13वें दिन यानी तेरहवीं में ब्राह्मण भोज कराया जाता है
और पिंडदान होता है.


पिंड दान से आत्मा को बल मिलता है और वह मृत्युलोक
से यमलोक तक की यात्रा संपन्न करती है.


कहते हैं कि मृतक की तेरहवीं न कराई जाए तो उसकी
आत्मा पिशाच योनी में भटकती रहती है.