पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार है दुर्गा पूजा. बंगाली
समुदाय के लोग इसे माता के मायके आने की खुशी में मनाते हैं.


दुर्गा पूजा की शुरुआत 9 अक्टूबर को कल्पारंभ से होगी.
13 अक्टूबर को बंगालियों की दुर्गा पूजा का समापन होगा.


दुर्गा पूजा के पहले दिन कल्पारंभ पूजा होती है. इसमें देवी
को बिल्व वृक्ष या कलश में आमंत्रित किया जाता है.


5 दिन तक चलने वाली दुर्गा पूजा में सरस्वती पूजा, अकाल बोधन
सिंदूर खेला, पुष्पांजलि, नवपत्रिका पूजा जैसी परंपरा निभाई जाती है.


बंगाली समुदाय की दुर्गा पूजा विजयादशमी पर खत्म होती है.
13 अक्टूबर को विजयादशमी पर विजय मुहूर्त 14:02 से 14:49 तक है.


दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा
स्थापित होती है, इनके साथ गणेश-कार्तिक-लक्ष्मी-सरसवती भी होती हैं.


पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का आयोजन 1757 के प्लासी के
युद्ध के बाद शुरू हुआ.


हालांकि पहली दुर्गा पूजा को लेकर कई अन्य कहानियां भी हैं.
कोलकाता में दुर्गा पूजा की रौनक खास होती है.