तिलक ने इस त्योहार को सार्वजनिक उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया
उन्होंने इसका उपयोग ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए किया, जिससे यह एक राष्ट्रीय उत्सव बन गया
लेकिन तिलक के प्रभाव से बड़े सार्वजनिक गणेश पंडाल (अस्थायी मंच) स्थापित किए गए, जहां विभिन्न समुदाय के लोग एक साथ आकर उत्सव मनाने लगे
सांस्कृतिक महत्त्व: गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश की मूर्तियों की स्थापना, भव्य सजावट, भक्ति गीत और पारंपरिक नृत्य होते हैं, यह त्योहार भारतीय कला और शिल्प, जैसे मूर्तिकला और सजावट, को संजोने और बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है
त्योहार के अंत में मूर्ति का जल में विसर्जन सृजन और विलुप्ति के चक्र को प्रतीकित करता है
कई स्थानीय कारीगरों और व्यवसायों को आर्थिक लाभ होता है। यह उत्सव अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान करता है
यह समुदाय स्थानीय संदर्भों में परंपराओं को अनुकूलित करते हैं और त्योहार की अंतरराष्ट्रीय पहचान में योगदान करते हैं
गणेश चतुर्थी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो धार्मिक श्रद्धा, कला और सामाजिक सामंजस्य को एकत्रित करता है