उत्पत्ति और पौराणिक कथा: गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र हैं

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यह त्योहार प्राचीन हिंदू ग्रंथों में उल्लिखित है, लेकिन 19वीं सदी में बाल गंगाधर तिलक के प्रयासों से यह व्यापक रूप से लोकप्रिय हुआ

तिलक ने इस त्योहार को सार्वजनिक उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया

बाल गंगाधर तिलक की भूमिका: तिलक ने गणेश चतुर्थी को व्यक्तिगत परिवारिक उत्सव से बड़े सार्वजनिक आयोजन में बदल दिया

उन्होंने इसका उपयोग ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए किया, जिससे यह एक राष्ट्रीय उत्सव बन गया

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सामुदायिक उत्सव: पारंपरिक रूप से गणेश चतुर्थी का आयोजन परिवारों के बीच होता था

लेकिन तिलक के प्रभाव से बड़े सार्वजनिक गणेश पंडाल (अस्थायी मंच) स्थापित किए गए, जहां विभिन्न समुदाय के लोग एक साथ आकर उत्सव मनाने लगे

संस्कृतिक पुनरुद्धार: इस त्योहार ने पारंपरिक कला और शिल्प, जैसे गणेश की मूर्तियों का निर्माण, भक्ति संगीत, नृत्य प्रदर्शन, और सजावट को पुनर्जीवित और संरक्षित करने में भूमिका निभाई है

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गणेश चतुर्थी भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, यह त्योहार भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है और भारतीय समाज में गहरी सांस्कृतिक जड़ों को दर्शाता है

सांस्कृतिक महत्त्व: गणेश चतुर्थी के दौरान गणेश की मूर्तियों की स्थापना, भव्य सजावट, भक्ति गीत और पारंपरिक नृत्य होते हैं, यह त्योहार भारतीय कला और शिल्प, जैसे मूर्तिकला और सजावट, को संजोने और बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करता है

प्रतीकात्मकता और अनुष्ठान: गणेश चतुर्थी के दौरान घरों और सार्वजनिक स्थलों पर गणेश की मूर्तियों की स्थापना की जाती है, अनुष्ठान किए जाते हैं, भक्ति गीत गाए जाते हैं, और मिठाइयाँ और अन्य भेंटें अर्पित की जाती हैं

त्योहार के अंत में मूर्ति का जल में विसर्जन सृजन और विलुप्ति के चक्र को प्रतीकित करता है

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आर्थिक प्रभाव: इस त्योहार के दौरान मूर्तियों और सजावट की बिक्री से लेकर भोजन और वस्त्रों तक

कई स्थानीय कारीगरों और व्यवसायों को आर्थिक लाभ होता है। यह उत्सव अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण समर्थन प्रदान करता है

वैश्विक उत्सव: गणेश चतुर्थी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के भारतीय समुदायों द्वारा भी मनाई जाती है

यह समुदाय स्थानीय संदर्भों में परंपराओं को अनुकूलित करते हैं और त्योहार की अंतरराष्ट्रीय पहचान में योगदान करते हैं

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सामाजिक एकता: तिलक के प्रयासों के बाद गणेश चतुर्थी ने भारतीय समाज को एकजुट करने का कार्य किया सार्वजनिक पंडालों में सभी वर्गों के लोग मिलकर उत्सव मनाते हैं, जो सामाजिक एकता और सामुदायिक भावना को मजबूत करता है

गणेश चतुर्थी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो धार्मिक श्रद्धा, कला और सामाजिक सामंजस्य को एकत्रित करता है