गणेश चतुर्थी के दिन धूमधाम से बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाती है. लेकिन 10 दिन बाद गणपति को विदा करने का समय आ जाता है. अनंत चतुर्दशी पर भक्त बप्पा की मूर्ति पवित्र नदियों में विसर्जित कर देते हैं. 17 सितंबर को गणपति विसर्जन के साथ 10 दिवसीय गणेशोत्सव समाप्त हो जाएगा. लेकिन गणेश जी की प्रतिमा को आखिर जल में क्यों विसर्जित किया जाता है. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी से लेकर 10 दिनों तक वेद व्यास ने गणेश को महाभारत की कथा सुनाई. 10 दिन बाद वेद व्यास जी ने आखें खोली तो देखा कि गणेशजी के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ था. उन्होंने तुरंत गणेशजी को सरोवर में ले जाकर ठंडे जल से स्नान कराया और उनका शरीर शीतल हुआ. इसलिए चतुर्दशी तिथि को गणपति की मूर्ति विसर्जित कर उन्हें शीतल किया जाता है. मान्यता है कि विसर्जन के बाद गणेशजी जी पुन: कैलाश पहुंच जाते हैं.