जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु तय है. गुरुड़ पुराण
के अनुसार मृत्यु के वक्त प्राण शरीर के कई जगह से निकलते हैं.


मृत्यु के समय आत्मा शरीर के नौ द्वारों में से किसी
एक से बाहर निकलती है.


ये नौ द्वार होते हैं- दो आखें, दो कान, दो नासिका,
मुंह और उत्सर्जन अंग.


शास्त्रों के अनुसार मुंह से प्राण वायु का निकलना शुभ होता है.
इस तरह से प्राण निकलना धर्मात्मा व्यक्ति का ही संभव है.


जिन्होंने अपना पूरा जीवन धन कमाने में लगा दिया, पुण्य कार्य
नहीं किए उनके प्राण मल-मूत्र के जरिए निकलते हैं, जो अशुभ होता है.


जीने की अधिक इच्छा रखने वाले, जो परिवार के मोह से नहीं
निकल पाते उनके प्राण आंखों से निकलते हैं.


जिन्होंने अपना कर्तव्य अच्छे से निभाया हो उनके प्राण नाक
से निकलते हैं, जिसे शुभ माना जाता है.


आत्मा के शरीर से बाहर निकलते ही संत आत्मा सीधे स्वर्ग सिधार
जाती है जबकि पापियों की आत्मा को यम के दूत लेकर जाते हैं.