जितिया, जिउतिया या जीवित्पुत्रिका व्रत संतान की मंगल कामना के लिए रखा जाता है.

जितिया का निर्जला व्रत रखकर माताएं जीमूतवाहन देवता की पूजा करती हैं.

इस वर्ष जितिया व्रत 25 सितंबर को है. वहीं 24 को नहाय-खाय और 26 को पारण है.

जितिया व्रत की पूजा, नियम और परंपरा विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होती है.

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, व्रत-उपवास के दौरान मांसाहार भोजन वर्जित होता है.

लेकिन बिहार-झारखंड के कुछ क्षेत्रों में जितिया व्रत से पहले मछली खाने की परंपरा है.

नहाय-खाय के दिन मछली खाई जाती है और अगले दिन जितिया व्रत रखा जाता है.

इस परंपरा के पीछे चील-सियार से जुड़ी जितिया व्रत की पौराणिक कथा है.

मछली के साथ ही जितिया में मरुआ आटे की रोटी, नोनी और झिंगनी सब्जी खाने की भी परंपरा है.