किन्नर अपने जीवन में केवल एक रात के लिए विवाह करते हैं.

शादी के अगले दिन किन्नर विधवा की तरह विलाप भी करते हैं.

किन्नर अपने देवता से ही एक रात के लिए शादी करते हैं.

इस प्रथा का संबंध महारत काल से जुड़ा है.

पांडवों ने महाभारत युद्ध से पहले काली पूजा की.

जिसमें एक राजकुमार के बलि की आवश्यकता थी.

तब राकुमार इरावत बलि के लिए तैयार हो गए.

लेकिन उसने शर्त रखी कि वह विवाह के बाद बलि होंगे.

तब श्रीकृष्ण ने मोहिनी रूप धारण कर इरावत से विवाह किया.

सुबह इरावत की बलि दी गई और कृष्ण ने विधवा जैसा विलाप किया.

इसके बाद से ही किन्नर इरावत को अपना कुल देवता मानते हैं.