समुद्र मंथन के समय राक्षस और देवता अमृत कलश को पाने के लिए लड़ने लगे.



इस दौरान इंद्र भगवान के पुत्र जयंत अमृत कलश को लेकर भाग गए.



राक्षसों से जयंत का पीछा किया.



12 दिनों तक देवताओं और राक्षसों की यह लड़ाई चली.



जयंत जब कलश लेकर भागे तो अमृत की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरी.



यह बूंदें 4 स्थानों पर गिरी, प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और हरिद्वार.



पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जयंत को अमृत कलश लेकर स्वर्ग पहुंचने में 12 दिन लगे थे.



देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक साल के बराबर होता है.



इसलिए कुंभ मेला 12 साल के अंतराल पर मनाया जाता है.