पितृपक्ष या पितरपख को पितरों का पर्व कहा जाता है.

इसे सोलह श्राद्ध, महालय पक्ष या अपर पक्ष जैसे नामों से भी जाता है.

पितृपक्ष में हिंदू धर्म के लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान, श्राद्ध व तर्पण करते हैं.

धर्मग्रंथों के अनुसार पितरों का निवास चंद्रमा के उर्ध्वभाग में होता है.

लेकिन क्या आप जानते हैं हमारे दिव्य पितृ कौन हैं?

दिव्य पितृ कर्मों के अनुसार जीवधारियों को मृत्यु के बाद गति प्रदान करने का निर्णय लेते हैं.

पितृलोक के श्रेष्ठ पितरों को न्यायदात्री का समस्य माना जाता है, जिसमें यमराज भी हैं.

अग्रिष्वात्त, बहिर्पद आज्यप, सोमेप, रश्मिप, उपदूत, आयन्तुन, श्राद्धभुक व नांदीमुख ये 9 दिव्य पितर हैं.