रावण एक कुशल व्यापारी होने के साथ राजनीतिज्ञ, महायोद्धा, चित्रकार, संगीतकार भी था.



रावण भगवान भोलेनाथ का इतना बड़ा भक्त था कि उसने कैलाश पर्वत को उठा लिया था.



वही रावण के दस सिरो के कारण रावण को दशानन भी कहा जाता है.



लंकापति रावण का असली नाम दशगीवृ था. जिसकी सोने की लंका बेहद सुंदर थी.



माना जाता है कि रावण के 10 सिर बुराई के प्रतीक थे.



इन 10 सिरो का अर्थ काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, घृणा, पक्षपात, अहंकार, व्यभिचार और धोखा था.



रावण को लेकर ये भी कहा जाता है कि रावण के दस सिर नहीं थे.



अपनी मायवी शक्तियों के कारण रावण 10 सिर होने का भ्रम पैदा करता था.



रावण ब्रहाराक्षस की जाति का था.



रावण के संदर्भ में यह भी कहा जाता है कि वह मांस भक्षण और मदिरापान करता था.