ऋग्वेद में गाय को अघन्या कहा गया है, जिसका अर्थ है जिसका वध नहीं करना चाहिए.



गाय का दूध औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है.



इसीलिए गाय के दूध में सभी रोगों से लड़ने की क्षमता है.



गाय को रुद्रों की मां, वसुस की बेटी, आदित्य की बहन और अमृत के केंद्र के रूप में देखा गया है.



गाय की सेवा करने से सारे पापों का नाश होता है.



गाय के सिर के बीच में भगवान शिव का निवास है.



गाय को ईश्वर की उपाधि दी गई है.



ऋग्वेद में 176 बार गाय के बारे में चर्चा हुई है.



गाय का दूध पीने से निर्बल व्यक्ति भी बलवान बन जाता है.