ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है. इसलिए शनि देव का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं. लेकिन भगवान शिव से शनि को नवग्रहों में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त हुआ है. जबकि शनि देव श्रम, न्याय, गरीब और मजदूर जैसे दुखियारों के मुखिया भी हैं. फिर भी कुछ लोग शनि को क्रूर देवता मानते हैं और उनकी दृष्टि से बचते हैं. कहा जाता है कि सिर्फ मनुष्य ही नहीं देवता भी शनि की दृष्टि से नहीं बच सके. धर्मग्रंथों के अनुसार, पत्नी से श्राप मिलने के बाद शनि की दृष्टि खरतनाक हो गई. शनि देव आलस्य, लोभी और गरीब-मजदूरों का शोषण करने वालों को ही दंड देते हैं. बुरे कर्म का दंड देने में शनि कोताही नहीं करते, इसलिए भी उन्हें क्रूर देवता कहा जाता है.