शिव की नगरी काशी को वाराणसी, बनारस, मोक्ष नगरी
के नाम से भी जाना जाता है.


वाराणसी आस्था विश्वास और मान्यताओं की ऐसी केन्द्र
भूमि है जहां तर्को के सभी मिथक टूट जाते हैं.


आजादी के बाद 24 मई 1956 को इस शहर का
आधिकारिक नाम वाराणसी हुआ.


कुर्मा पुराण और धार्मिक मान्यता अनुसार यहां एक ओर वरुणा
नदी है और दूसरी ओर असि नदी.


ऐसे में इन नदियों के बीच होने के कारण बनारस को
वाराणसी के नाम से पुकारा जाने लगा.


वाराणसी में 12 ज्योतिर्लिंग में से एक काशी विश्वनाथ धाम
विश्व प्रसिद्ध है. कहते हैं यहां दर्शन मात्र से संकट दूर हो जाते है.


शिव जी शादी के बाद पहली बार माता पार्वती का गौना कराने
के बाद वारणसी ही आए थे.


वाराणसी भी प्राचीन नाम है. इसका उल्लेख भी बौद्ध जातक
कथाओं और हिंदू पुराणों में है.