गीता के अध्याय 4, श्लोक 13 में कृष्ण चार वर्णों को बताते हैं.

ये चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र हैं.

चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः। तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्॥

अर्थ है. मैंने गुण और कर्म के आधार पर चार वर्णों को रचा है.

शूद्र को लेकर गीता में क्या कहा गया, आइये जानते हैं.

शूद्र का स्वाभाविक कर्म है परिचर्या यानी सेवा करना.

गीता में कहा गया है शूद्र वर्ण का व्यक्ति यदि

ब्राह्मण से उच्च काम करता है तो उसका स्थान ब्राह्मण से ऊंचा है.