16 संस्कार में सबसे आखिरी दाह संस्कार होता है.
इसे अंतिम संस्कार भी कहते हैं.


गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद शव का दाह संस्कार
करने के कुछ नियम बताए हैं जिनका आज भी किया जाता है.


अंतिम संस्कार सुबह सूर्योदय से लेकर शाम सूर्यास्त
होने से पहले करना चाहिए


सूर्यास्त के बाद अंतिम संस्कार न करने के पीछे खास
वजह बताई गई है.


मान्यता है कि जिन मृतक का रात में अंतिम संस्कार किया
जाता है उनकी आत्मा के लिए स्वर्ग के द्वार बंद हो जाते हैं.


ऐसा भी कहा जाता है कि रात में अंतिम संस्कार किया जाए
तो व्यक्ति अगले जन्म में अंग दोष से पीड़ित होता है.


ऐसी भी मान्यता है कि मृतक को नरक भोगना पड़ता है.



ऐसे में अगर किसी व्यक्ति की सूरज ढलने के बाद मृत्यु हो
जाती है तो दाह संस्कार के लिए सूर्योदय तक इंतजार किया जाता है.