बिष्णु पुराण के बारहवें अध्याय में कहा गया है कि
मनुष्य को कभी निर्वस्त्र होकर स्नान नहीं करना चाहिए.


शास्त्रों के अनुसार नग्न अवस्था में स्नान करने
से पितृ दोष लग सकता है.


एक बार कृष्ण ने गोपियों को समझाते हुए कहा था कि
निर्वस्त्र होकर स्नान करने से वरुण देवता का अपमान होता है.


साधू-संत भी शरीर पर कपड़ा लपेटकर स्नान करते हैं.



ऐसा करने से उन्हें शारीरिक और आर्थिक परेशानी का सामना
भी करना पड़ सकता है.


वरुण जल के देवता हैं और इस धरती पर हर जीव-जंतू, छोटे
से छोटे सूक्ष्म रूप में मौजूद जीवों में भी ईश्वर का वास है.


पानी में भी सूक्ष्म रूप में जीव मौजदू रहते हैं, ऐसे में
बिना कपड़ों के नहाने से दोष लगता है.


मान्यता है कि नग्न अवस्थ में स्नान करने पर आपके
शरीर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सकती है.