योगी और भोगी शब्द आपने जरूर सुने होंगे.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि योगी और भोगी में क्या आंतर है.

संसार में दो तरह के मनुष्य हैं जो योगी और भोगी हैं.

जो मनुष्य स्वार्थ और अहं भाव लिए भटकते हैं वो भोगी है.

योगी उसे कहते हैं जो आंतरिक मौन की उत्कृष्टता को देखता है.

योगी द्वारा किया हर काम दूसरों की भलाई के लिए होता है.

जबकि भोगी बाहरी दिखावे को लेकर चिंतित रहता है.

भोगी इच्छाएं रखता है और सांसारिक सुखों का आनंद लेता है.

योगी अंतर्मुखी होता है और भोगी बहीर्मुखी होता है.

योगी विरक्त और गंभीर होते हैं जबकि भोगी अनुरक्त और चंचल है.