सूर्य, चंद्र, द्वितीयेश और द्वादशेश पीड़ित होने से आंख में विकार
होते हैं, अगर केतु भी शामिल हो तो सर्जरी भी हो सकती है.


जब सूर्य चंद्र शत्रु रूप में और
रोगकारक ग्रह मिलकर इस भाव को प्रभावित करते हैं तो आंख में समस्या होने लगती है.


ज्योतिष में सूर्य और चंद्र को नेत्र
की रक्षा करने वाला कहा गया है क्योंकि ये दो ग्रह हमें रोशनी देते हैं.


हमारी आंखों में सूर्य और चंद्र से
प्रभावित होने वाले तत्व है इसलिए जब ये तत्व विकार युक्त हो जाए तो रोग होता है.


अगर नेत्र रोग आपको परेशान
कर रहे हों तो कुंडली में देखें कि कहीं सूर्य, चंद्र, द्वितीयेश और द्वादशेश पीड़ित तो नहीं हैं.