अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर की हर ओर चर्चा है. 22 जनवरी को मंदिर में भव्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होना है. हिंदू धर्म में प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति को पूजा योग्य नहीं माना जाता, बल्कि निर्जीव मूर्ति माना जाता है. प्राण प्रतिष्ठा के जरिए मूर्ति में देव शक्ति का संचार किया जाता है. हिंदू धर्म में प्राण प्रतिष्ठा के कुछ विशेष नियम बताए गए हैं. इन नियमों का पालन करते हुए मंदिर में भगवान को प्राण प्रतिष्ठित किया जाता है. प्रतिमा को पवित्र करने के लिए सर्वप्रथम स्नान कराने का विधान है. गंगाजल समेत 5 पवित्र नदियों के जल से स्नान कराया जाता है. स्नान के बाद पवित्र वस्त्रों से साफ किया जाता है. अब नए वस्त्र धारण कराए जाते हैं. प्रतिमा को निर्धारित स्थान पर विराजित करते हैं, चंदन का लेप लगाते हैं. बीज मंत्रों का पाठ आरंभ किया जाता है, वैदिक मंत्रों का उच्चारण चलता रहता है. प्राण प्रतिष्ठा पूरी होने के बाद भगवान की आरती की जाती है.