अयोध्या राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में चारों पीठ के शंकराचार्यों ने आने से मना कर दिया है
इस बीच शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने समारोह में शास्त्रीय विधा का पालन नहीं होने की बात कही है. इसके अलावा उन्होंने कई ऐसे बयान दिए, जिनकी वजह से वह चर्चा में आ गए
आइए जानते हैं कि शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी कौन हैं
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ओडिशा के पुरी की गोवर्धन पीठ के 145वें एवं वर्तमान शंकराचार्य हैं
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी का जन्म बिहार के दरभंगा मधुबनी जिले के एक गांव में हुआ था. उन्हें बचपन में सब लोग नीलाम्बर नाम से पुकारा करते थे
उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की और फिर आगे की पढ़ाई बिहार में की
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी पढ़ाई के साथ खेलों में भी खासी दिलचस्पी रखते थे
शंकराचार्य पढ़ाई के साथ कबड्डी,कुश्ती और फुटबॅाल जैसे खेल में भी काफी अच्छे रह चुके हैं
उन्होंने लगभग 31 वर्ष की उम्र में हरिद्वार में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज की शरण में अपना संन्यास पूरा किया. इसके बाद से उनका नाम निश्चलानंद सरस्वती पड़ गया
वह गोवर्धन मठ के144वें शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी निरंजन देव की शरण में आए. इसके बाद स्वामी निरंजन देव ने स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी को अपना उत्तराधिकारी मानकर 9 फरवरी 1992 को गोवर्धन मठ पुरी के 145वें शंकराचार्य पद की जिम्मेदारी सौंप दी