भारत की आजादी में कई नाम ऐसे हैं जिन्हें बूढ़ा, बच्चा, जवान सभी जानते हैं

वहीं कुछ ऐसे भी नाम हैं जिन्हें शायद ही कोई जानता और पहचानता है

आजादी के महासंग्राम में एक ऐसा ही नाम है भूलाभाई देसाई का

भूलाभाई देसाई कांग्रेस के नेता के साथ एक वकील भी थे

इनकी तारीफ देश के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी की थी

उन दिनों भारत में अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की अंतिम तैयारी हो रही थी

उसी समय 18 अगस्त 1945 को नेता जी सुभाष चंद्र बोस के निधन की खबर आई

2 सितंबर को दूसरे विश्व युद्ध के समाप्त होने की घोषणा भी हो गई

इसके बाद ब्रिटिश सेना ने आजाद हिंद के फौज के हजारों सिपाहियों को बंदी बनाना शुरू कर दिया

इसी दौरान आजाद हिंद फौज के तीन प्रमुख अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाई

अंग्रेज फौज और नेता जी को बदनाम करने के इरादे से लाल किले में जनता के सामने मुकदमा चलाने का फैसला किया

भूलाभाई की दलीलों के आगे अंग्रेजों के आरोप टिक नहीं सके और उन्हें तीनों अधिकारियों की फांसी टालनी पड़ी

4 जनवरी 1946 को उनकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया था