शेरशाह सूरी ने मुगलों को हराकर हिंदुस्तान की गद्दी पर पांच सालों तक राज किया था



शेरशाह सूरी का जन्म साल 1486 में हुआ था. शेरशाह सूरी ने सूरी साम्राज्य की स्थापना की थी.



शोरशाह सूरी मुगल बादशाह बाबर का सैनिक था. साल 1528 में चंदेरी अभियान में भी बाबर का साथ दिया था



किताब तारीख़-ए-शेरशाही में लिखा है, एक बार शेरशाह को खाते देख बाबर ने अपने खास खलीफा से कहा कि शेरशाह से होशियार रहने की जरूरत है इसके माथे पर गद्दी पर राज करने की लकीरें दिखती हैं



कुछ वक्त बाद शेरशाह ने बिहार के सरगना जलाल खान के दरबार में उपनेता बनकर काम करना शुरू कर दिया



बाबर की मृत्यु के बाद हुमायूं ने बंगाल पर राज करने की इच्छा जताई, लेकिन बीच में शेरशाह का इलाका आ रहा था



बिहार और बंगाल पहले से ही शेरशाह के कब्जे में थे, जिसकी वजह से वह हुमायूं के लिए खतरा बन चुके थे



साल 1540 में 17 मई को हुमायूं और शेरशाह की सेनाओं के बीच आमना-सामना हुआ था



जहां शेरशाह के 15000 सैनिक थे तो वहीं हुमायूं के दोगुने से भी ज्यादा 40000 सैनिक थे



हुमायूं को सैनिकों का साथ न मिलने की वजह से शेरशाह अपना एक भी सैनिक गवाएं बिना जंग जीत गया