कोई भी व्रत दिखाने, किसी को जताकर करने पर सार्थक नहीं होता, यह एक तरह का तप है,



व्रत या उपवास आपकी संकल्प शक्ति बढ़ाता है. शरीर के अन्तस्तल में देवी-देवों के प्रति भक्ति



व्रत से श्रद्धा, तल्लीनता का संचार होता है, इससे कायिक, वाचिक, मानसिक, संसर्गजनित, पाप, उप पाप, महापाप नष्ट हो जाते हैं



व्रत से आत्मा शुद्ध होती ही. वांछित फल की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.



जीवन को सफल बनाने के कार्यों में व्रत-उपवास की विशिष्टता है, महिमा है,



साथ ही व्रत-उपवास के नियमों की पालना, शरीर को तपाना ‘तप है जिसे अटूट श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा, समर्पण भाव से किया जाना उपयुक्त है.



आप कार्य विशेष में, जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, व्रत, उपवास को इसका आधार बनाना चाहते हैं



आप में दृढ़ इच्छा शक्ति, पूर्ण आस्था, पूर्ण विश्वास और श्रद्धा, इससे आप सुख, शांति



प्रसन्नता, वांछित फल प्राप्त कर सकेंगे, स्वस्थ तथा आनन्दमय जीवन व्यतीत होगा.