गीता के अनुसार कर्म करते समय फल की इच्छा मन में होगी तो लक्ष्य पूरा नहीं होगा, इसलिए निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है.

काम को टालने से व्यक्ति लापरवाह हो जाता है, इसलिए तय समय पर अपने काम को पूरा करें, सफलता निश्चित मिलेगी.

गीता कहती है अपनी क्षमता और विवेक के आधार पर लक्ष्य का चुनाव करें, क्योंकि वक्त से पहले और किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता.

काम में अपनी पसंद के परिणाम की इच्छा हमें अशांत और असुंष्ट बनाती है. सफलता के लिए आसक्ति का त्याग जरुरी है.

गीता में कहा है कि जो अपनी इंद्रियों को काबू कर लेता है, उसे संसार में कोई भी हरा नहीं सकता. वह हमेशा खुश रहेगा.

गीता में लिखा है कि धर्म का मार्ग भले ही देर से सफलता देगा लेकिन ये कामयाबी लंबे समय तक टिकेगी.

धर्म केवल हमें सही रास्ता दिखाता है लेकिन कर्म हमें मंजिल तक पहुंचाते हैं, इसलिए धर्म का साथ कभी न छोड़े.

मनुष्य जैसा लेता है आहार, वैसे ही बन जाते हैं उसके विचार अर्थात आप जैसा कर्म करेंगे वैसा ही पाएंगे.