हर सफल व्यक्ति के कुछ शत्रु होते हैं शत्रु दो प्रकार के होते हैं 'ज्ञात शत्रु' जो दिखाई देते हैं 'अज्ञात शत्रु' जो दिखाई नहीं देते हैं अज्ञात शत्रु छिप कर वार करते हैं शत्रु कैसा भी हो हानि ही पहुंचाता है शत्रु को पराजित करने के लिए चाणक्य की इन बातों को याद रखना चाहिए शत्रु की हर गतिविधि पर नजर रखें कमजोर होने पर शत्रु वार करता है स्वयं को कभी कमजोर साबित न करें अपनी शक्ति में निरंतर वृद्धि करें वाणी की मधुरता, स्वभाव में विनम्रता इन गुणों से शत्रु पराजित होता है अहंकार से दूर रहें, क्रोध न करें ये अवगुण, शत्रु को लाभ पहुंचाते हैं शत्रु को कमजोर समझने की भूल न करें शत्रु आपकी कमियों का पूरा लाभ उठाता है गलत आदत, गलत संगत का शत्रु सबसे अधिक फायदा उठाता है