चाणक्य ने अपनी नीति में मानव हित के संदर्भ में कई सारी बातें बताई हैं.



वैसे तो मनुष्य के पास यदि धन और ज्ञान रहता है,



तो वह जीवन का सबसे सफल व्यक्ति है. लेकिन चाणक्य ने



अपनी एक नीति में इन दोनों चीजों को क्यों बताया है व्यर्थ आइए जानते हैं.



चाणक्य अपनी नीति में कहते हैं कि जो ज्ञान



किताबों तक सीमित है वह ज्ञान व्यक्ति के किसी काम का नहीं है.



किताबी ज्ञान के साथ ही साथ व्यक्ति को समाजिक ज्ञान



और उसकी बेहतर समझ होना जरूरी है.



चाणक्य कहते हैं कि स्वयं का धन कितना भी हो



लेकिन दूसरों के हाथों में होने से वह धन किसी काम का नहीं है.