आचार्य चाणक्य के अनुसार, गरीबी इंसान के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है.



निर्धन व्यक्ति पर हमेशा कोई न कोई संकट बना रहता है.



चाणक्य कहते हैं कि दरिद्र मनुष्य का जीवन निर्वाह काफी कठिन होता है.



एक समय आता है, जब निर्धनता की वजह से सगे-संबंधी उसका साथ छोड़ देते हैं.



चाणक्य के अनुसार, इंसान को अपनी गरीबी जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए.



निर्धन व्यक्ति अगर कुछ अच्छी बात भी बता रहा है तो भी उसकी बात का कोई मूल्य नहीं होता है.



आचार्य चाणक्य कहते हैं कि निर्धन व्यक्ति का समाज में कहीं भी सम्मान नहीं किया जाता है.



इंसान धैर्यपूर्वक प्रयत्न करे तो निर्धनता को समाप्त किया जा सकता है.