गुरु बनाने से पहले,जान लें चाणक्य की ये नीति



गुरु वही होता है जो आपको गोविंद से साक्षात्कार करवाता है



जीवन को सफल बनाने के लिए गुरु का होने बेहद जरुरी है
जीवन को सफल बनाने के लिए गुरु का होने बेहद जरुरी है



सद्गुरु कपटी हो तो शिष्य का जीवन बर्बाद हो जाता है.



जो व्यक्ति अपने कर्तव्यों के प्रति ईमानदारी रहता है,वहीं गुरु कहलाने का असली हकदार है.



व्यक्ति की कथनी-करनी जान कर ही उसे अपना सद्गुरु बनाना चाहिए.



तमाम कामना,कुवासना और महत्वाकांक्षा आदि से मुक्त हो उसे गुरु बनाना बेहतर है.



समाज और राष्ट्र के कल्याण में एक गुरु का योगदान बड़ा होता है.