कनॉट प्लेस को राजधानी दिल्ली की धड़कन कहा जाता है

यहां की इमारतों की बनावट इसे बाकी इमारतों से अलग बनाती है

इसका निर्माण साल 1929 में ब्रिटिशर्स ने करवाया था

इसे देखकर लोगों के मन में कई सवाल आते हैं

पहला तो ये कि इसमें दुकानें कितनी है और इसका मालिक कौन है

इसका मालिकाना हक भारत सरकार के पास है

आजादी के बाद दुकानों का किराया करीब 600 रूपए था

यहां का किराया हर साल 10 फिसदी बढाया जाता है

लोगों ने कम कीमत में दुकानें खरीदकर उन्हे ऊंचे दामों में बेच दिया

आज के डेट में एक छोटी दुकान का किराया 1-2 लाख रूपए है.