यो-यो टेस्ट को 1990 के दशक में डेनिश फुटबॉल फिजियोलॉजिस्ट डॉ. जेन्स बैंग्सबो ने इंट्रोड्यूस किया था

यह टेस्ट खिलाड़ियों की फिटनेस और स्टैमिना का आकलन करने के लिए बनाया गया है

भारतीय क्रिकेट टीम ने 2017 में श्रीलंका दौरे से पहले फिटनेस मानदंड के रूप में यो-यो टेस्ट को अपनाया था

इस टेस्ट को टीम इंडिया तक पहुंचाने का श्रेय पूर्व कोच शंकर बसु को जाता है

इस टेस्ट में खिलाड़ियों को 20 मीटर की दूरी पर स्थित दो कोनों के बीच दौड़ना होता है तथा प्रत्येक शटल के बाद स्पीड बढ़ानी होती है

तेज गेंदबाजों को 2 किलोमीटर की दूरी 8 मिनट 15 सेकंड में और अन्य खिलाड़ियों को 8 मिनट 30 सेकंड में पूरी करनी होती है

कोन A से कोन B और फिर वापसी करने पर एक शटल पूरा होता है, जिसमें कुल 7 सेकंड का आराम मिलता है

जैसे-जैसे लेवल बढ़ता है, दौड़ने की गति बढ़ानी पड़ती है, जिससे टेस्ट अधिक कठिन हो जाता है

भारतीय टीम में चयन के लिए खिलाड़ियों को कम से कम 16.1 यो-यो स्कोर हासिल करना हता है

टीम इंडिया के कई खिलाड़ियों ने यो-यो टेस्ट में हाई स्कोर हासिल किया है, जैसे विराट कोहली (19), मनीष पांडे (19.2) और मयंक डागर (19.3)