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2005 में एजबेस्टन में दूसरे एशेज टेस्ट के दौरान, माइकल कास्प्रोविक को गलत तरीके से आउट दिया गया

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रिप्ले से साबित हुआ कि उनका हाथ बल्ले से दूर था, जिससे वह वास्तव में आउट नहीं थे

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2008 में, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी जेम्स सदरलैंड ने डिसीजन रिव्यू सिस्टम (डीआरएस) की संभावना पर विचार किया

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आईसीसी ने 2008 में पहली बार टेस्ट सीरीज में डीआरएस के परीक्षण को मंजूरी दी

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भारत और श्रीलंका के बीच कोलंबो में खेले गए टेस्ट में डीआरएस का पहली बार उपयोग किया गया

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भारत के कप्तान अनिल कुंबले ने डीआरएस का पहली बार इस्तेमाल किया, लेकिन निर्णय ऑन-फील्ड अंपायर के पक्ष में रहा

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तीन मैचों की सीरीज में भारत ने केवल एक सफल समीक्षा की, जबकि श्रीलंका ने 11 सफल समीक्षा की

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डीआरएस में तकनीकी और नियमों में समय-समय पर कई बदलाव किए गए

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2012 में आईसीसी ने डीआरएस को सभी अंतर्राष्ट्रीय मैचों में अनिवार्य बनाने की कोशिश की, लेकिन बीसीसीआई ने इसका विरोध किया

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2016 में बीसीसीआई ने डीआरएस को अपनाया, और वर्तमान में डीआरएस लगातार परिणाम देने में सक्षम है