शाहजहां पांचवे मुग़ल शहंशाह थे

उन्होंने मुगल राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला किया

इसी समय उन्होंने दिल्ली में लाल किले का निर्माण करवाया

उस समय इसे किला-ए-मुबारक कहा जाता था

लाल किले में 'यमुना द्वार' नामक एक द्वार भी है

इसी द्वार से शाहजहां ने पहली बार लाल किले में प्रवेश किया था

यमुना द्वार को 'खिजरी दरवाजा' भी कहा जाता है

ये द्वार केवल मुगल शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के लिए ही था

इसी द्वार से अंतिम मुगल सम्राट बहादुर जफर द्वितीय भागते हुए निकला था

यह घटना 1857 की क्रांति के बाद हुई थी