सराय काले खां चौक दिल्ली का एक ऐतिहासिक इलाका है

सराय काले खां चौक का नाम अब बिरसा मुंडा चौक कर दिया गया है जो आदिवासी महापुरुष की 150वीं जयंती के अवसर पर किया गया

यह इलाका पहले सराय काले खां के नाम से जाना जाता था जो ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है

शेरशाह सूरी के समय में सड़कों का एक बड़ा नेटवर्क बनाया गया, जिसे बाद में जीटी रोड कहा गया

शेरशाह ने यात्रियों और सैनिकों के रुकने के लिए हर 12 मील पर एक सराय बनाई, जिसमें सराय काले खां भी शामिल था

14-15वीं सदी के मध्य सूफी संत काले खां इस सराय में रुकते थे जो इलाके से जुड़े एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्ति थे

लोदी काल में काले खां का एक गुंबद भी बनाया गया जो आज कोटला मुबारकपुर में स्थित है

काले खां के नाम पर एक गांव भी था, जिसे सराय काले खां कहा जाता था और यह गुर्जर समाज का मुख्य निवास स्थान था

18वीं सदी में नवाब फैजुल्लाह बेग ने इस सूफी संत की याद में अहाता काले खां बनवाया

बाद में यह अहाता मिर्जा गालिब की बहन के कब्जे में भी रहा.