डर और फोबिया को कुछ लोग एक ही समझने की भूल करते हैं ये दोनों अलग अलग चीजें हैं डर हमारे शरीर का एक इमोशनल रिस्पॉन्स होता है जब व्यक्ति को खतरे का आभास होता है तब उसे डर लगता है निगेटिव एक्सपीरियंस के बाद डर पैदा होता है फोबिया को निकलने में समय लग सकता है फोबिया एक तरह का एंग्जाइटी डिसऑॅर्डर है फोबिया में चाहकर भी इंसान डर से बाहर नहीं निकल पाता है फोबिया दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता होती है फोबिया के चलते व्यक्ति की लाइफ पर असर पड़ता है.