जब भी कोई बीमारी होती है ऐसे में हम रंग-बिरंगी दवाइयां खाते हैं

इनमें से कुछ लाल रंग, नीले या फिर सफेद रंग की दवाइयां होती हैं

सबसे पहले रंगीन दवाओं का चलन 1960 के दशक में शुरू हुआ था

लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि ये दवाइयां रंगीन क्यों होती हैं

जानते हैं इसके पीछे क्या वजह है

इन दवाओं को चिकनी मिट्टी या ब्रेड में मिक्स किया जाता था

20वीं सदी तक दवाइंयां गोल और सफेद हुआ करती थीं

लेकिन, आज तकनीकी एडवांस के साथ लगभग सबकुछ बदल गया है

अच्छी नींद के लिए हल्के नीले रंग की दवाइयां दी जाती हैं

अगर बीमारी से जल्द आराम चाहिए तो लाल रंग की दवाइयां दी जाती हैं.