लंकापति रावण को दशानन भी कहा जाता है,



क्योंकि रावण के एक नहीं बल्कि 10 सिर थे.



आइए जानते है रावण के क्या सच में थे 10 सिर?



पौराणिक कथा के अनुसार, रावण भोलेनाथ को



प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या कर रहा था.



शिव जी को प्रसन्न करने के लिए रावण भोलेनाथ को



बार-बार अपना सिर काट कर अर्पित कर रहा था.



रावण ने एक-एक करके नौ बार अपना सिर



धड़ से अलग करके शिव को समर्पित किया.



जब 10वीं बार रावण अपना सिर काट कर शिव को समर्पित करना चाहता था,



तब भोलेनाथ प्रकट हो गए और तभी से रावण को दशानन कहा जाने लगा.