शेर से हल चलाओगे तो किसान तो मरेगा ही
मैंने मौत को बहुत करीब से देखा है ...किसी और की जिंदगी के लिए मरना ही मेरी मंजिल है
मुश्किल तो ये है की मैं अभी तक ठीक तरह से बिगड़ा भी नहीं... और तुमने सुधारना शुरू कर दिया
अगर नहीं काटा ना, तो ऐसी जगह काटूंगा ... तू कंफ्यूज हो जाएगा की पैंट पहनू या घागरा
हारने का डर और जीतने की उम्मीद ...दोनो के बीच जो एक टेंशन वाला वक्त होता है ना ... कमाल का होता है
जिंदगी हो तो स्मगलर जैसी ...सारी दुनिया राख की तरह नीचे और खुद धुएं की तरह ऊपर
जो आदमी लिमिट में रहता है...वो जिंदगी भर लिमिट में ही रह जाता है