एक Electric Locomotive (इंजन) की बिजली खपत उसके मॉडल और पावर पर निर्भर करती है, और यह औसतन 3,000 से 6,000 किलोवाट प्रति घंटा (kWh) हो सकती है.

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भारतीय रेलवे में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव जैसे WAP-7 या WAG-9 की क्षमता 6,000-7,000 हॉर्सपावर (HP) तक होती है, जिससे उनकी खपत अधिक होती है.

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खपत इस पर निर्भर करती है कि इंजन कितने भार (डिब्बों) को खींच रहा है और उसकी गति कितनी है. अधिक भार और उच्च गति पर ज्यादा ऊर्जा लगती है.

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एक औसत इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव सामान्यतः 4,500 से 5,000 किलोवाट-घंटा (kWh) बिजली एक घंटे में खपत करता है.

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मालगाड़ी (फ्रेट) खींचने वाले इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स आमतौर पर अधिक ऊर्जा खपत करते हैं क्योंकि वे भारी सामान ढोते हैं, जबकि यात्री ट्रेनें तुलनात्मक रूप से कम ऊर्जा खपत करती हैं.

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अगर लोकोमोटिव 60-80 किमी/घंटा की सामान्य गति पर चलता है, तो उसकी खपत कम होती है, जबकि 100 किमी/घंटा से अधिक की गति पर खपत बढ़ जाती है.

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इलेक्ट्रिक इंजनों में रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम होता है, जिससे ब्रेक लगाने पर ऊर्जा की कुछ मात्रा वापस सिस्टम में भेजी जा सकती है, जिससे कुल खपत में कमी आती है.

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अलग-अलग मौसम और रेलवे ट्रैक की स्थिति भी खपत को प्रभावित करते हैं, जैसे कि ढलान या चढ़ाई पर खपत बढ़ जाती है.

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कुछ नए इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स में इकोनॉमी मोड की सुविधा होती है, जो सामान्य ऑपरेशन में बिजली की खपत को नियंत्रित करता है.

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कुशल ड्राइविंग और नियमित मेंटेनेंस से बिजली की खपत को लगभग 10-15% तक कम किया जा सकता है, जिससे एक घंटे में खपत कम होती है.

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