गरुड़ पुराण में बताया है कि मृत्यु के बाद आत्मा को सद्गति या दुर्गति क्या मिलेगा, इसके बारे में विस्तार से लिखा है.

हर मनुष्य की मृत्यु निश्चित है लेकिन गुरुड़ पुराण में आत्महत्या करना घोर अपराध की श्रेणी में माना गया है.

पुराण के अनुसार मृत्यु के 10वें, 13वें या 40वें दिन बाद आत्मा दूसरा शरीर धारण करती है.

आत्महत्या करने के बाद आत्मा प्रेत, भूत और पिशाच योनि धारण कर सालों तक भटकती है. इन्हें मोक्ष नहीं मिलता.

ऐसी आत्माओं को कुयोनि से तब तक मुक्ति नहीं मिलती जब तक उसका निर्धारित समय न आ जाए.

जो लोग समय चक्र से पहले खुद का जीवन समाप्त कर लेते हैं, उनकी जीवात्मा को न स्वर्ग मिलता है, न ही नर्क

ऐसे लोगों की आत्मा हमारे बीच भटकती रहती है. उनकी दुर्दशा होती है. उन्हें मुक्ति देने के लिए विधि विधान से श्राद्ध करना चाहिए.

मानव जीवन का चक्र 7 चरणों में समय और क्रम अनुसार बंटा है. आत्महत्या करने से ये क्रम बिगड़ जाता है