जिनसे जन्म लिया है उसकी मृत्यु तय है. पुराणों के अनुसार आत्मा कपड़ों की तरह शरीर बदलती है.

गुरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद तीसरे से लेकर 40 दिनों के अंदर आत्मा दूसरा शरीर धारण कर लेती है.

एक शरीर त्यागने के बाद आत्मा यमलोक जाती है, यमलोक पृथ्वी से 88 हजार योजन दूरी पर है.

यमराज के समक्ष आत्मा के पाप-पुण्य का फैसला होता है. जीवन में उसने जैसे कर्म किए, आत्मा को उसके अनुसार अगला जन्म मिलता है.

अच्छे कर्म करने वालों को मोक्ष मिलता है लेकिन बुरे काम करने वालो की आत्मा नर्क भोगकर पुनर्जन्म लेती है.

पुराणों के अनुसार 4 लाख बार आत्मा, मनुष्य योनि में जन्म लेती है.

ऐसा माना जाता है कि इसके बाद ही मनुष्य को पितृ या देव योनि प्राप्त होती है.

दूसरा शरीर धारण करने से पहले आत्मा स्वर्ग या नरक में रहती है.