हिंदू धर्म में चिता को अग्नि देने से पहले मुखाग्नि देने

हिंदू धर्म में चिता को अग्नि देने से पहले मुखाग्नि देने वाला मटकी लेकर शव के चारों ओर परिक्रमा लगाता है.

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इस छेद वाले घड़े में जल भरा होता है. परिक्रमा पूरी होने के बाद

इस छेद वाले घड़े में जल भरा होता है. परिक्रमा पूरी होने के बाद इसे पीछे को ओर फोड़ दिया जाता है.

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पुराणों के अनुसार ऐसा करने के पीछे आत्मा का शरीर के प्रति

पुराणों के अनुसार ऐसा करने के पीछे आत्मा का शरीर के प्रति मोहभंग करना होता है. इसमें एक दार्शनिक संदेश भी छिपा है.

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कहते हैं जीवन एक छेद वाले घड़े की तरह है ज‌िसमें आयु रूपी

कहते हैं जीवन एक छेद वाले घड़े की तरह है ज‌िसमें आयु रूपी पानी हर पल टपकता रहता है

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अंत में सब कुछ छोड़कर जीवात्मा चली जाता है और घड़ा रूपी जीवन खत्म हो जाता है.

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इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है, जब श्मशान घाट नहीं हुआ करते थे तो उस दौरान लोग दाह संस्कार खेतों में करते थे.

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उस दौरान घड़े में पानी भर शव के चारों ओर घूमने का कारण था, कि शव को अग्नि देते वक्त सिर्फ उसी जगह पर आग रहे, फैले नहीं.

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परिक्रमा के दौरान पानी गिराकर वहां की जमीन को गीला किया जाता था.

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